31 पर इस्राएली, जे धर्मी को नेम कि खोज करिय हता उ नेम तक नी पहुचे।
31 मान्तर इस्राएली, जोन धरम चो नियम के डगराते रवत हुन नियम लगले नी अमरला।
फिर यसायाह बड़ो हिम्मत को संग कहूँ हैं, “जे मोखा नी ढ़ूँढत हता, उन न मोखा पा लियो अर जे मोखा पूछत भी नी हता, उन पर मी प्रगट होए गयो।”
एकोलाने परिनाम का निकलो इस्राएली जे कि खोज म हतो, ओ ख नी पा सक; किन्तु चुन हुयो लोग हुन न ओ ख पालन अर दूसरा हुन सुननो नी चाहव।
काहेकि नेम को काम हुन से कोई सरीर ओखा सामने धर्मी नी ठहरे, एकोलाने कि नेम ख अऊर पाप हुन ख पहिचान होऐ हैं।
ते घमंड करनु कहाँ रहयो? ओको ते जगह ही नी हैं। कोन-सो नेम ख कारन से? कर्मी कि नेम से? नी, पर विस्वास का नेम को कारन।
ते का नेम परमेस्वर को वादा को विरोध म हैं? कसो भी तरीका से नी! काहेकि अदि असो नेम दियो जातो जो जीवन दे सका हैं, ते सही म धर्मी नेम से होतो।
उत्साह को बारे म अदि कय्हो ते कलीसिया ख सताव वाला; अर नेम कि धार्मिकता का बारा म अदि कह ते बेकसूर हतो।