22 काहेकि मी बार बार तुम लोग हुन को नजीक आन से रुको रयो हूँ।
22 ऐईकाजे मय तुमचो लगे ऐतो ले घन-घन ठेबुन रये।
पर यूहन्ना ओखा असो बोल ख रोकन लग गयो, “मोखा तो तोरो हात से खुद बपतिस्मा लेन कि जरूरत हैं। अऊर तू मोरो जोने आयो हैं?”
अरे भई हुन मी नी चाहूँ हैं कि तुम असी बात हुन से अनजान रैव कि मी न बार-बार तुमारो जोने आन को पिलान बनायो ताकि, जसो दुसरी जात हुन म फल मिले, वसो ही तुम म भी मिले, ते भी अब तक वहाँ जान ख लाने रोको गयो।