“परमेस्वर न उनकी आँखी ख अंधो कर दियो हैं, अऊर उनकी अकल बंद कर दी हैं परमेस्वर न बोल्यो: कही असो नी होय कि वी आँखी से देखे, अर मन से समझे, अर मोरी तरफ लउटे आहे, अर मी उनका अच्छो कर देहु।”
जसो कि सुध्द सास्र म लिखो हैं, “कि परमेस्वर न सुध्द आत्मा को दुवारा कि बुध्दि को जड़ बना दियो हैं ओ म उन ख, असी आँखी दे दी जे नी देख हैं, अर असो कान जे नी सुननो नी अर ओकी यू हाल्त आज लक बनी हैं।”