अऊर अदि तुमारी आँख हुन बुरी हैं, ते तुमारो पूरो सरीर भी आन्धियारो होय; एकोलाने अदि तुमारो भीतर कि उजालो ही अन्धकार होए, ते यू कित्तो जादा अन्धकार होगो।
एकोलाने हम विचार हुन म अऊर हर एक ऊँची बात ख, जो परमेस्वर की पहिचान को विरोध म उठ हैं, खण्डन हो कर हैं; अऊर हर एक भावना ख बन्द कर ख मसी को बात ख मानन वालो बना देव हैं,
यू ही तीरका अरे जवान हुन, तुम भी सियाना जमाना का अदमी हुन का बस म रहो, पर तुम सारा का सारा एक दुसरा कि सेवा का लाने नम्रता से कमर बाँधी रहो, काहेकि “परमेस्वर घमण्डी हुन को विरोध करह आय, जब कि दया करन वालो पर अपनी दया दिखाव हैं।”