47 जब साँम भई, ते नाव झील को बीच म हती, अर उ अकेलो जमीन म हतो,
47 जिदलदाय संझ होली, तेबे ड़ोंगा झील चो मंजी रली, आउर हुन ऐकला भूईं थाने रलो।
उ अदमी हुन ख विदा कर, विनती करन को अलग पहाड पर चलो गयो, अऊर रात ख उ वहाँ अकेलो हतो।
इंसान हुन ख भेज ख यीसु सान्त जगा पर बिनती करन ख गयो
जब ओ ना देख्यो की वी नाव चलाते-चलाते पस्त हो गया हैं, काहेकि हवा उनको सामने कि तरफ से चलत रह, ते रात को चऊथो पहर को करीब यीसु झील पा चलते उनको पास आयो; अर उनसे आगु चल देनु चाहत रह