एकोलाने जब भी परमेस्वर म बररा कि घास ख जे आज हैं अर कल आगी म डाली जाहे, असो कपड़ा पहिना हैं, ते अरे कुछ दिन ख विस्वासी हुन, तुम का उ इत्ता बढ़ ख काहे नी पहिना हे?
तब यीसु ओसे कय्हो, “तुम्हारो विस्वास किते हतो?” पर वी डर गया अर अचम्भो होकर आपस म कहन लगिया, “यू कऊन हैं जे आँधी अर पानी ख भी आग्या देव हैं, अर वी ओकी मान हैं?”