30 सूली म से उतर ख अपनो तुम ख बचा ल।”
30 कुरूस उपर ले उतरून भाती आपन खुद के बचाव।”
अर रस्ता म जान वाला मुण्डी मटका मटका ख अर असो बोल का ओकी बुराई करत रह, “वाह! मन्दिर को गिड़ान वालो, अर तीन दिन म बनान वालो!
असो तरीका से पुजारी हुन भी, सासतिरी हुन, एक दुसरो म मजाक से बोलत रह, “येना तो दुसरा ख बचायो, पर अपनो तुम ख नी बचा सकियो।