31 आकास अर धरती टल जाहे, पर मोरी बात कभी नी टलन कि।
31 बादरी आउर धरतनी टलुन जादे, मान्तर मोचो गोठमन केबीई नी टले।
आकास अर धरती मिट जाहेगो, पर मोरो बात कभी नी मिटगो।
अर मी तुम इंसान हुन से सच कहूँ हैं, आकास अर जमीन भले ही टल जाहे, पर लिखो वालो नेम म से एक मातरा अर एक बिन्दु भी बिना पुरो भयो नी मिटे।
मी तुम से सच्ची बोलू हैं। कि जब तक या सब बात पुरी नी हो जान की तब तक या पिडी ख अदमी मरन का नी
उ दिन या उत्ती बखत को बारे म कोई नी जाना कि कब आहे, न स्वर्ग दूत अऊर न पोरिया; पर सिर्फ परमेस्वर बाप।
आकास अर धरती मिट जाहेगो, पर मोरी बात हुन कभी नी खाली जान की
अदि हम भरोसा नी भी हो, तेभी वी भरोसा लायक बनो रहव हैं, काहेकि वह तुम अपनो मना नी कर सकह।
उ अनन्त काल को जीवन की आसा पर जेको वादा परमेस्वर न, जे झुट बोल नी सका सनातन से करते आयो हैं,
फिर मीना एक बड़ो उजरो सिंहासन अर ओखा, जो ओपर बठियो हैं, देख्यो; ओको जोने से जमीन अर आकास भग गया, अर उनको लाने जगह नी मिली।