पर तुम खुद को बारे म समझ ख रहनु; काहेकि अदमी हुन तुमका बड़ी-बड़ी सभा म सोपेगो अऊर तुम पंचायत हुन म मार खाए, अऊर मोरो लाने मुनिम हुन अऊर राजा हुन को सामे खड़ा करा जाहे, ताकि उनको लाने गवाई होए।
“एकोलाने होसियार (सावधान) रहनू, असो नी होय कि तुम्हारो मन खुस होय (खुमार) अर मतवालो पन, अर यू सरीर की चिन्ता हुन से लस्त हो जाहे, अर उ दिन तुम प फन्दा को जसो अचानक आ जाहे।
ओ न कय्हो, “सतरक रहनू कि भरमाए नी जाए, काहेकि बेजा से मोरो नाम से आ ख कहेगो, ‘मी उही आय, अर यू भी कि, बखत (बखत) पास म आ पहुचो हैं।’ तुम ओके पिछु नी चलो जानो।