18 अर विनती कियो कर असो ठण्ड को बखत नी होनो चाहिए।”
18 आउर पारथना करा कि ऐ सीतकार ने नी होओ।
उ दिन म जो पेट से रहे अर दुध पिलात होए, उनको लाने धितकार!
काहेकि वी दिन असा दुख ख होये कि पृथ्वी को सुरु से, जे परमेस्वर न बनायो हैं, अभी तक नी भयो न फिर कभी होन को।