जब यीसु गलील कि झील को किनार म फिरत रहा। उनना दो भई हुन ख देखयो समोन, जो पतरस कहलावा हैं, अर ओको भई अन्द्रियास ख। वी झील म जाल डालत रहा काहेकि वी ढ़िमर हता।
काहे कि हम गवाही हुन की असी इत्ती बडी भीड़ से घिरया हैं, जो हम ख भरोसा को मतलब का होव हैं ऐकी गवही देवा हैं ऐको लाने आओ रोड़ा बनन वाली हर एक चिज ख अऊर उ पाप ख जो सहज ही हम ख उलझा देवा हैं झटक ख फेके अऊर वा दऊड जेय म हम ख दऊडनू हैं, आओ धीरज को संग म ओ ख उखाड़ ख फेके आओ ओ ख धीरज को संग म दऊडे,