अर स्वर्गदूत न ओको उत्तर दियो सुध्द आत्मा तो पर उतरेगो, अर परमप्रधान परमेस्वर की सक्ति तो पर छाये करेगों: एकोलाने उ सुध्द जे पैदा होवन वाला हैं। परमेस्वर को पोरिया कहलाएगो।
सब्द न सरीर रूप धर ख, हमरो बीच म आयो, अऊर हम न ओकी असी महेमा देखी जसो परमेस्वर बाप (पिता) को अकेलो पोरिया कि महेमा, जो किरपा अऊर सही से भरपूर हो ख हमारो बीच म ड़ेरा करो।
“काहेकि परमेस्वर न पुरा दुनिया ख इंसान हुन से असो प्रेम रख”, कि ओ न अपनो अकेलो पोरिया तक दे दियो, ताकि जो कोई ओपर भरोसा करे उ नास नी होन को, पर अनन्त जीवन पाहे।
काहेकि जो काम नेम से सरीर का लाने कमजोर होकर नी कर सक, ओ ख परमेस्वर नी कियो, असो कि अपनो ही पोरिया ख पाप मय को जिन्दगी ख समान म अर पापबलि होन का लाने भेज ख, जिन्दगी म पाप पर सजा कि आग्या दियो।