वा बखत यीसु न कय्हो, “बाप! स्वर्ग अर जमीन को प्रभु! मी तोरी बड़ाई करूँ हैं; काहेकि तुना यी सब बात हुन ख ग्यानी अर समझदार हुन से छुपा ख रखयो; पर बाल-बच्चा हुन पा परगट करयो हैं।
तब राजा अपनी दाहिनी ओर को लोग हुन से कहेगो, मोरो बाप ख किरपा पस्र हुन आ अर उ राज को अधिकारी हुन बनो, जे दुनिया को सुरूवात से तुमारो लाने तैयार करियो गयो हैं।
मी तोसे कहूँ हूँ कि उ दुसरो नी, परन्तु यू ही अदमी धर्मी ठहरायो जा ख अपनो घर गयो; काहेकि जे कोई अपनो तुम का बड़ो बनाएगो, उ छोटो कियो जाएगो; अर जे अपनो तुम ख छोटो बनाएगो, उ बड़ो कियो जाएगो।”
“प्रभु का आत्मा मोपर हैं, एकोलाने कि ओ ना बिखारी ख सुसमाचार सुनानो का लियो मेरो अभिसेक कियो हैं, अर मो ख ऐको भेजो हैं कि बंदी हुन को छुटकारे का अर अंधो को दृस्टि पानो को चोक्खो प्रचार करुँ अर कुचलो वाला उन ख छुड़ाऊँ,
धन्य हैं उ जो मूसिबत म विस्वास लायक रहवा हैं दुख से खडो निकलनो पर ओ ख जिन्दगी को उ मुकुट हासिल होय जे ख प्रभु न अपनो दास हुन ख देवन को वादा करयो हैं। अपन प्यार करन वाला से की आय।
हे मोरा प्यारो भई हुन, सुनो का परमेस्वर न या दुनिया को गरीब ख नी चुनियो। कि भरोसा म धनी अर उ राज को मुखिया हो, जेको वादा ओ न ओसे करी हैं, जे ओसे प्यार रखह हैं?
तू असो कहा हैं कि मी धनी हैं अर धनवान हो गयो हैं अऊर मोखा कोई चीज कि किमती नी हाय; अर तू यू नी जानत आय कि तू अभागो अऊर नीच अर कंगाल अर अंधो अर नंगो हैं।