“मी तो तुम इंसान हुन ख पानी से पस्चाताप करन को बपतिस्मा देऊ हैं; उ मोसे जादा सक्तिसाली हैं। मी ओको जूता उठान को भी कबील नी हैं। उ तुमका सुध्द आत्मा अर आग से बपतिस्मा देहे।
ते यूहन्ना न उन सब से कय्हो, “मी तो तुम ख पानी से बपतिस्मा देऊ हैं, पर उ आनवालो हैं जो मो से सक्तिसाली हैं; ते इ योग्य भी नी की मी ओके जूता को बददी खोल सकू उ तुमका सुध्द आत्मा अर आगी से पानी संस्कार देगो।
काहेकि वी केवल खान पान की चीज अऊर नयो प्रकार से सुध्दी करन को नेम हैं। जे आसा उ बखत को सरीर ख सरीर ख पुननिर्मान को लाने नियुक्त कियो गयो थो जे उपदेस को जे आखरी बखत लक लागु होन वाली बाहायरी नेम आय।
एकोलाने तुम आपसी म एक दुसरा को सामने अपनो अपनो पाप ख मान लेव अर एक दुसरो को लाने प्रार्थाना करो जसो चंगा हो जाओ धर्मी अदमी की प्रार्थना को सक्तिसाली से बेजा कुछ हो सकह हैं।
उही पानी को उदाहरन भी, याने बपतिस्मा, यीसु मसी को जी उठन को दुवारा, अब तुम ख बचाव हैं; ऐ से सरीर को मईल ख दूर करन को मतलब नी हैं, पर भलो विवेक से परमेस्वर को बस म हो जान का मतलब हैं।