30 अऊर वी भजन गान को बाद यीसु अर उनको चेला जैतून टेकड़ा पर चल गयो।
30 फेर हुनमन भजन गाऊन भाती जैतून डोंगरी थाने गेला।
अऊर वी यरूसलेम ख नजीक आयो अऊर जैतून टेकाड़ा अर बैतफगे को नजीक आया, ते यीसु न दो चेला हुन ख यी कह ख भेजो,
“म तुम से कहू हैं कि मी अंगूर को यू रस उ दिन तक कभी न पीऊ, जब तक तुमारो संग अपनो बाप को राज म नयो नी पीऊ।”
उ दिन का मन्दिर म सिक्छा (उपदेस) करत हतो; अर रात (साम) का बाहर जाय ख जैतून नाम टेकड़ा पर रह करत हतो;
“समोन, हे समोन! देख, सैतान न तुम लोग हुन का माँग लियो हैं कि जसो गहूँ को समान फटके, तुम ख फटके,
“तब उ बाहर निकल ख अपनो रीति को अनुसार जैतून को टेकड़ा पर गयो अर चेला हुन ओके पिछु हो लियो।
पर यु एकोलाने होवा हैं कि दुनिया जाने कि मी परमेस्वर बाप से प्रेम करुँ हैं, अर जसो परमेस्वर बाप न मोखा हुकुम दियो हैं मी वसो ही करुँ हैं। उठो, येमा से चले।