ओ न कय्हो, “सतरक रहनू कि भरमाए नी जाए, काहेकि बेजा से मोरो नाम से आ ख कहेगो, ‘मी उही आय, अर यू भी कि, बखत (बखत) पास म आ पहुचो हैं।’ तुम ओके पिछु नी चलो जानो।
एकोलाने हम आगे ख पोरिया पारी नी रहन ख जो अदमी हुन कि ठगन वाली बुध्दी अऊर चतुराई से, उनको ठग विद्या भ्रम कि युक्ति हुन को अर उपदेस को हर एक झोका से उछाला अऊर इते-उते घुमाया जावा हैं।
कोई अदमी आत्मा-हीनता अऊर स्वर्ग दूत की पुजा करा ख तुम ख दऊड को प्रतिफल से वचित नी करे। असो अदमी देखी वाली बात म लगो रह हैं अर अपनी सरीर कि समझ पर बेकार फूल्यो हैं,
होसियार रहो कि कोई तुम ख उ तत्व-ग्यान अर बेकार धोखा को व्दारा अपनो अहेर नी बनो ले, जे अदमी हुन की रीति रिवाज हुन अऊर दुनिया की आदि सिक्छा को अनुसार ते हैं, पर मसी को अनुसार नी।
कोई तुम इंसान हुन ख कोई भी तरीका से नी बैहकाय।, काहेकि उ दिन जब लक नी आ सकन को जब लक पहले धरम को त्याग नी हो जाय, अर उ अधर्मी इंसान परगट नी हो जाय, जेको नास हो जानो जरूरी हैं।
अरे प्यारो दोस्त, हर एक कि विस्वास नी करह, यानी आत्मा हुन ख परख कि वी परमेस्वर कि तरफ से आय कि नी; काहेकि बेजा से झूटा भविस्यवक्ता हुन दुनिया म निकल खड़े भयो हैं।