12 अर अधर्म को बड़नो से बेजा हुन को प्रेम ठण्डो पड़ जाएगो,
12 अधरम चो बड़लोने खुबेमन चो मया सितर होऊन जाये दे,
अर बेजा हुन झूटा भविस्यवक्ता उठ खड़ो होगो, अर बेजा हुन ख बहकाऐ।
पर जो अन्त तक धीरे धरे रहेगो, ओको ही को उध्दार होगो।
एकोलाने पुरी मलिनता अर दुसमनी भाव की बढ़ती ख दुर कर ख उ वचन ख धीरे से ग्रहण कर ले जे दिल म बोयो गयो अर जे तुमरी जान हुन ख उध्दार कर सकह हैं।
जो दुख तोखा भोगनु होये, उन से मत डरा। काहेकि देखनो, भूत तुम म से कोई ख जेल खाना म ड़ालन पर हैं ताकि तुम ख परखो जाय; अर तुम ख दस रोज तक दुख उठानो पढे। जान नीकलन तक भरोसा करजो, ते मी तोखा जीवन को मुकुट देऊगो।
मी तोरा काम हुन का जानू हैं कि तू नाते ठंडो हैं अर न गरम: भलो होतो कि तू ठंडो या गरम होतो।