3 फिर नव बजिया उ बाहर निकल ख अर ओ न दूसरा हुन चऊक म बेकार खड़ा देखो,
3 फेर गोटक पाहार दिन चेगली हुन निकरून भाती दुसर लोगमन के हाट ने बेकार उबा दकलो,
ओ न मजदूर हुन से एक दीनार रोज पर रखो अऊर उनख अपनी अंगूर कि बारी म भेजो।
अऊर ओ न कय्हो, तू भी अंगूर कि बारी म जा, अर जे कुछ उचित हैं, तुम ख देहु। अब वी भी गया।
सुबेरो को बखत नव बजो रह, जब उन ना ओखा सूली पर चढ़ायो।
जब उन ख मालिक ख देखो की हमारी कमाई की आसा जाती रही तो पोलुस अर सीलास को पकड ख चऊक म से मुखिया को पास खीच ले गयो
जसो तुम लोग समझत रह, यू लोग नसे म नी हैं, काहेकि अभी ते भुनसारो को नव बजिया हैं।
ऐको संग ही संग वी घर-घर फिर ख आलसी होना सिखा हैं, अर सिरप आलसी नी पर फक्कड़-फक्कड़ करते रहव हैं अऊर दुसरो को काम म हात भी डाला हैं, अर बेकार की बात भी करा हैं।
हम यू नी चाहव आय कि तुम आलसी हो जाय। बल्कि तुम उनको जसो चलो जे भरोसा अर धीरज को संग म वी चीज ख पा रया हैं जेको परमेस्वर न वादा दियो रहा।