ओ ना कय्हो, “हाँ, देवा हैं।” जब उ घर म आयो, ते यीसु न उनको पुछनो से पहले ही ओसे कय्हो, “अरे समोन, तू का सोच हैं? दुनिया ख राजा हुन कोसे कर या लगान लेवा हैं खुदका ही पोरिया हुन से या पराया से?”
तेभी ऐको लाने कि हम उनको लाने ठोकर नी खिलायो, पर तू झील को किनार म जा ख को बंसी डाल, अऊर जे मच्छी पहले निकले, ओको मुंडो खोलनो पर तोखा एक सिक्का मिलेगो, ओखा ही लेखा मोरो अर तोरो बदला म उनका दे देजो।”
“मालिक न उ अधर्मी भण्डारी को सराहो कि ओ न चतुराई से काम कियो हैं, काहेकि इ दुनिया को लोग अपनो बखत ख लोग हुन को संग रीति-व्यवहारो म ज्योति को लोगो से अधिक चतुर हैं।”