जे कोई इंसान को पोरिया को खिलाप म कुछ बात कहे, ओखा यू अपराध छमा कियो जाहे, पर जे कोई सुध्द आत्मा को खिलाप म कुछ काहे, ओको अपराध, नी तो यू लोक म अऊर नी परलोक म छमा कियो जाहे।
पर एकोलाने कि तुम जान लेनू कि इंसान को पोरिया को धरती पर को पाप माप करन को हक हैं। तब ओ ना लकवा को बीमार वाला से कहयो “उठ, अपनो खटिया उठा, अर अपनो मकान म चलो जा।”
जो अदमी नेम का बस नी हैं, उन ख हासिल करन को लाने मी उनको जसो बिन व्यवस्था को पापी बनीयो, फिर भी मसी की व्यवस्था को बस म होन को वजेसे मी हकीगत म परमेस्वर की व्यवस्था से आजाद नी भयो हैं।