30 काहेकि मोरी बोझ सहज हैं अऊर मोरो बोझ हलको हैं।”
30 कसनबल्लोने मोचो जुआंड़ी सरल आउर मोचो बोजा पोयंग आय।”
यीसु कोई छुट्टी को रोज गहूँ की खेत हुन से हो ख जात रा। ओखा चेला हुन ख भूक लगी अऊर वी गहूँ की बाली टोड़-टोड़ ख खान लग गया।
मी न या बात हुन तुम से एकोलाने कही हैं कि तुमका मोरो म सान्ति मिले। दुनिया म तुमका दुख होवा हैं, पर हिम्मत बाँधी, मी न दुनिया ख जीत लियो हैं।”
तो अब तुम का परमेस्वर परीक्छा करत हो की चेला की गरदन पर असो बोझ रखो जिन न हमारो बाप दादा उठा सकते हैं अर हम भी उठा सहके हैं
सुध्द आत्मा को अर हम ख चोक्खो जानो पडो की इन अच्छी बात ख छोड तुम पर अर बोझ नीय डालो
काहेकि हमारो पल भर को हल्को सो दुख हमारा लाने बेजा ही खास हैं अऊर अनन्त बड़ाई उत्पन्न करिये जाय हैं;
मसी न मोक्छ को लाने हमका स्वतरत करयो हैं; एकोलाने ऐमा ही बनिया रहो, अर गुलामी कि बोझ म फिर से गुलाम मत बननू।
अऊर अदि तुम आत्मा को हिसाब से चला हैं ते नेम को बस म नी रया।
जो मो ख सक्ति देवा हैं ओ म मी सब कई कर सका हैं।
काहे कि परमेस्वर को प्रेम यू आय कि हम ओ कि आदेस हुन ख मान हैं; अर ओ कि आदेस बोझ दायक नी आय।