अरे कपटी सासतिरी हुन अर फरीसी हुन, तुम पर धितकार! तुम एक अदमी ख अपनो फायदा म लान ख लाने सारो पानी अर थल म फिर हैं, अर जब उ फायदा म आ जाव हैं ते ओ ख अपनो से दूगनो से नारकीय बना दे हैं।
जो बात मी न तुम से कही रह, ‘दास अपनो प्रभु से बड़ो नी होवा,’ ओखा याद रखनू। अदि उन ना मोखा सतायो, ते तुमका भी सताएँगो; अदि उन न मोरी बात मानी, ते तुम्हारी भी मानेगो।