वरन् अपना दुसमन हुन से प्रेम रखो, अर भलाई करो, अर फिर पानो की आसा नी रखकर उधार दो; अर तुम्हारो लियो बड़ो फल होगो, अर तू परमप्रधान ख अवलाद ठहरोगो, काहेकि वी उन पर जे धन्यवाद नी करत अर बुरो पर कृपालु हैं।
पर जे ग्यान ऊपर से आवा हैं उ पहले तो सुध्द होव हैं फिर सान्ति से मिलनसार कोमल अर मृदुभाव अर दया अर अच्छो फल से लदो वालो अर पक्छपात अर मन कपट रहित होव हैं।