31 फिर वी गलील के कफरनहूम नगर को गयो; अऊर छुट्टी को दिन लोग हुन ख सिक्छा दे रहे हतो।
31 फेर हुन गलील चो कफरनहूम नंगर ने गेलो; आउर सब्त चो दिने लोगमन के उपदेश देते रलो।
जब वी तुम ख एक सहर म सताहे, ते दूसरो सहर ख भग जानो। मी तुम से सच बोलू हैं, तुम इस्राएल देस ख पूरा सहर हुन नी घुम पानी का कि इंसान को पोरिया आ जाहे।
ते उ नासरत सहर ख छोड़ ख, कफरनहूम सहर म रहन लग गयो। यू सहर जबूलून अर नप्ताली कुल हुन को सिवाना म झील को किनार म बसीयो हैं।
ओ न ओसे कय्हो, “तुम मोरे पर यु कहलावा अवस्य कहेगो कि ‘हे वैघ, अपन तुम को चोक्खो कर! जो कुछ हम न सुनी हैं कि कफरनहूम म कियो गयो हैं, ओ ख यू अपनो देस म भी कर’।”
पर यहूदी हुन न पुजारी अर कुलीन बाई हुन का अर नगर का प्रमुख लोग हुन को उस खयो, अर पोलुस अर बरनबास को खिलाप उपद्रव करवा ख उन ख अपन सीमा से निकाल दिया।
उ हर एक आराम को दिन प्रार्थना घर म बहस कर ख यहूदी हुन अर यूनानी हुन ख भी समझा वह को प्यास करह हैं।