40 यू कह ख ओ न ऊन का अपनो हात पाय दिखायो।
40 ऐ बोलुन भाती हुन हुनमन के आपलो हाथ पाँय दकालो।
मोरो हात अर मोरो पाय का देखो, कि मी उही हूँ। मो ख छु ख देख, काहेकि आत्मा को हड्डी मांस नी होत जसो मोरो म देखह हैं।”
जब खुसी को मारे ओको भरोसा नी हुई, अर वी आस्चर्य करत हते, “ते ओ न ओसे पुछो, का यहाँ तुम्हारो नजीक कुछ खाना हैं?”
अर यू बोल ख ओ न अपनो हात अर अपनो पसली को घाव उन ख दिखायो। तब चेला प्रभु ख देख ख खुस भया।
तब ओ ना थोमा से कय्हो, “तोरी उँगली यहाँ लाखा मोरा हात ख देख अर अपनो हात लाखा मोरी पसली म ड़ाल, अर संका अविस्वासी नी पर भरोसा करन वालो बन।”