11 पर ओकी बात हुन उनका कायनी सी जान पड़ियो, अर उन्होना ओकी भरोसा नी करी।
11 मान्तर हुनमन चो गोठमन हुनमन के कहनी असन जान पड़ली, आउर हुनमन-हुनमन चो बिश्वास नी करला।
उन न असो सुन ख कि उ जिन्दा हैं अर उन न ओ ख देखो हैं, भरोसा नी करो।
उन न भी जाख दुसराझना ख खबर दियो, पर उन न उनको भी भरोसा नी करयो।
ओको पिछु उ वी ग्यारह हुन ख भी, जब वी खाना खान बठीया हता दिखो रह, अर उनको सक करनु अर मन को ड़ीट पन को वजेसे (उलाहना) गवई दियो, काहेकि उनना ओको जिन्दो होनू को बाद ओखा देखियो रह, इनना ओको अविस्वास करयो हतो।
तब ओ न उनसे कय्हो, “अरे बिना अकल का अर भविस्यवक्ता हुन की सबरी बात हुन पर भरोसा करनो म बेजा धीरे आय!
जब खुसी को मारे ओको भरोसा नी हुई, अर वी आस्चर्य करत हते, “ते ओ न ओसे पुछो, का यहाँ तुम्हारो नजीक कुछ खाना हैं?”
पतरस निकल ख ओको पिछु होए लियो; परन्तु यू नी जानत हतो कि जे कुछ स्वर्गदूत कर रय्हो हैं वी सच हैं, वरन् यू समझो कि मी सपना देख रय्हो हैं।