5 वी आनन्दित भयो, अर ओ ख रूपये हुन देन का वादा दियो।
5 हुनमन हरिक होला, आउर हुनके रूपया देतोर बचन दिला।
ओ न जाय ख मुखिया याजक हुन अर पहरू हुन को सरदार हुन को संग बात चीत की कि ओको कि प्रकार ओके हात म पकड़वागो।
ओ न मान लियो, अर अवसर (बखत) ढूँढ़न लगियो कि जब भीड़ हुन नी हो ते ओके हात पकड़वा देवा।
“ओ न अधर्म क कमाई से एक खेत मोल लियो, अर सिर क बल गिरियो अर ओको पेट फट गयो अर ओकी सब अन्तड़ियाँ निकल पड़ी।
पतरस न ओसे कय्हो, “तोरो अर तोरो धन को सत्यानास होय, काहेकि तू न असो सोच्चो कि तू पैसा से परमेस्वर ख वरदान हुन ख मोल ले सका हैं।
वी सीधा रस्ता ख छोड़ ख भटक गयो हैं, अर बओर को पोरिया बिलास को रस्ता पर ही लाने हैं, जीन ख अधर्म कि मजदूरी ख प्यारो जानह हैं;
वी लालच का लाने बात हुन गढ़ ख तुम ख अपनो लालच को लाने बनाएगो, अर जो सजा को हुकुम उन पर पहले ही से हो चुको हैं ओको आवन म कुछ भी देर नी होए, अर उनको नास निकल नी।
उन प धितकार। काहेकि वी कैन कि सी चाल चलो, अऊर मजदूरी को लाने बिलाम को समान खत्म हो गयो हैं, अर कोरह को समान विरोध कर ख खत्म हुआ हैं।