40 उ जगह पहुँच ख ओ न ओसे कहयो, विनती करो कि तू परीक्छा म नी पड़ो।”
40 हुन जगा ने अमरून भाती हुन हुनमन ले बल्लो, “पारथना करा कि तुमी परीक्षा ने नी पड़ा।”
अर हमका परीक्छा म मत ला, पर बुराई से बचा। काहेकि राज्य अर पराक्रम अर महिमा सदा तोरो ही हैं। आमीन
अर हमरा पाप हुन ख माप करयो, काहेकि हम भी अपन हर एक अपराधी का माप करा हैं, अर हमका परीक्छा म मत ला।
अर ओसे कय्हो, “काहे सोत हो? उठ, प्रार्थना करो कि परीक्छा म नी पड़ो।”
सारी बात हुन ख आखरी हैं पर होन वालो हैं; एकोलाने गंभीर होय ख विनती का लाने हुसयार रह।
तुना जो मोरो धीरज रुपी वचन का पकढ़ीयो हैं, एकोलाने मी न भी तोखा परीक्छा को उ बखत बचा ख रखूगो जो दुनिया पा रहन वाला ख परखन को लाने पुरी दुनिया म आन वालो हैं।