जे कोई इंसान को पोरिया को खिलाप म कुछ बात कहे, ओखा यू अपराध छमा कियो जाहे, पर जे कोई सुध्द आत्मा को खिलाप म कुछ काहे, ओको अपराध, नी तो यू लोक म अऊर नी परलोक म छमा कियो जाहे।
“मालिक न उ अधर्मी भण्डारी को सराहो कि ओ न चतुराई से काम कियो हैं, काहेकि इ दुनिया को लोग अपनो बखत ख लोग हुन को संग रीति-व्यवहारो म ज्योति को लोगो से अधिक चतुर हैं।”
बिहाव ख सब म सम्मान कि बात समझी जाव, अर तुमारो बिहाव को बिछोना सुध्द होनो चहिए जे न कोई पाप नी करयो (निस्कलंक) निर्मल रह, काहे कि परमेस्वर छिनाला अर पराई ओरत को संग म कु करम करन वाला हुन को न्याव करेगों।