40 अरे बे अकली जेना बाहर को भाग बनायो, का ओ ना अन्दर को भाग नी बनायो?
40 हे बेअकलमन, जोन बाहार चो हिस्सा बनालो, काय हुन भितर चो हिस्सा नी बनालो?
अरे मूर्ख हुन अर अंधा हुन कोन बड़ो हैं; सोना अऊर उ मन्दिर जेन सोना सुध्द होव हैं?
अरे अंधा हुन फरीसी, पहले थाली ख भीतर से मांजा कि वी बाहर से भी साफ होऐ।
पर परमेस्वर न ओसे कय्हो, अरे मुर्ख! या रात तोरी जान तो से ले लियो जाहे; तब जो कुछ तू न जोड़ियो हैं उ कोको होय?
तब ओ न उनसे कय्हो, “अरे बिना अकल का अर भविस्यवक्ता हुन की सबरी बात हुन पर भरोसा करनो म बेजा धीरे आय!
अरे मोरो मुर्ख! जे कुछ तू बोय हैं, जब तक उ नी मरे जिलाव नी जाहे।
फिर जब कि हमारो सारीरिक बाप भी हमारी ताड़ना कियो करतो थो अऊर हम न उन को सम्मान करियो, ते को आत्मा को बाप को अऊर भी अधीन नी रहे जेसे हम जिन्दा रहे।