एकोलाने अदि तोरो पुरो सरीर उजलो होए अर ओकी कोई अंग अंधेरो नी रहे ते पूरो को पूरो असो उजेला होएगो, जसो वा बखत होवा हैं जब दिया अपनो चमकनो से तोखा उजाला देवह हैं।”
तू असो कहा हैं कि मी धनी हैं अर धनवान हो गयो हैं अऊर मोखा कोई चीज कि किमती नी हाय; अर तू यू नी जानत आय कि तू अभागो अऊर नीच अर कंगाल अर अंधो अर नंगो हैं।