17 या बात को हुकुम मी तुमका एकोलाने देऊ हैं कि तुम एक दुसरा से प्रेम रखे।
17 ऐ गोठमन चो हुकुम मय तुमके ऐईकाजे देंयें से कि तुमी गोटक दुसर ले मया संगाहा।
मी तुम ख एक नयो आग्या देऊ हैं कि एक दुसरा से प्रेम रखनू; जसो मी न तुम से प्रेम रखो हैं, वसो ही तुम भी एक दुसरा से प्रेम रखनू।
मोरो आग्या यू हैं, कि जसो मी न तुम से प्रेम रखो, वसो ही तुम भी एक दुसरा से प्रेम रखनू।
सब को इज्जत कर, भई हुन से प्यार रख, परमेस्वर से डर, राजा को सम्मान कर।
अऊर अब ओ बाई, मी तुमका कोई नयो आग्या नी बल्कि उईच आग्या ख लिखु रयो हैं, जेखा हमना सनातन काल से पायो हैं हमका हमेसा एक-दुसरा से प्रेम करनो चाहिए।