काहेकि जो काम नेम से सरीर का लाने कमजोर होकर नी कर सक, ओ ख परमेस्वर नी कियो, असो कि अपनो ही पोरिया ख पाप मय को जिन्दगी ख समान म अर पापबलि होन का लाने भेज ख, जिन्दगी म पाप पर सजा कि आग्या दियो।
अरे भैय्या हुन, मी इंसान हुन कि रीति रीवाज को हिसाब से बोलू हैं; इंसान को वादा (वचन) भी जो पक्को हो जावा हैं, ते न कोई ओ ख टाल हैं अर न ओमा कुछ बढ़ावा हैं।
पर अब जे तुम न परमेस्वर ख पहिचान लियो पर परमेस्वर न तुम ख पहिचानो, ते वा कमजोर अर निकम्मी सुरू कि सिक्छा कि बात हुन कि तरफ काहे फिरा हैं, जिनको तुम दुसरी बार गुलाम सेवक होनो चाहवा हैं?