हे भैय्या हुन अर बहिन, तुम स्वतरत होन ख लाने बुलायो गया हैं; पर असो नी होय की या स्वतंतरता सारीरिक काम हुन को लाने काम कि चीज बने, वरन प्रेम से एक दुसरा को लाने गुलाम बनो।
अरे भैय्या हुन, तुमरो बारे म हम ख हर बखत परमेस्वर ख भलो बोलनो जरूरी हैं, अर यू उचित भी हैं, एकोलाने कि तुमरो भरोसा बेजा बढते जावा हैं अर एक दुसरा म तुम सब म प्रेम बेजा ही बढ़ते जावा हैं।
अदि कुई कहे, “मी परमेस्वर से प्यार रख हूँ,” अर अपनो भई से बुराई रखे ते उ झूठो आय; काहेकि जो अपनो भई से जेना ओ न देखो हैं प्यार नी रखा, ते उ परमेस्वर से भी जे न ओ न नी देखो प्यार नी रख सका।