30 एकोलाने कि हम ओको सरीर का धड़ आय।
30 ऐईकाजे कि आमी हुनचो देंह चो धड़ आंव।
वसो ही हम जे बेजा हैं, मसी म एक सरीर हो ख आपस म एक दुसरा को अंग हैं।
का तुम नी जाना कि तुमारो सरीर मसी को अंग आय? ते का म मसी को सरीर ले ख उन ख छिनाला पना हुन को जीवन बनाऊँ? कभी नी।
कलेसीया मसी को सरीर आय, मसी कि भरपुरी हैं, जो सब कुछ सब तरीका से पूरो करा हैं।
काहेकि कोई न कभी अपनो सरीर से बैर नी रखो पर ओको पालनो-पोसनो करा हैं, जसो मसी भी कलेसिया को संग करा हैं।
अर उ सिरोमणि ख पकडे नी रहता जेसे पुरो सरीर जोडो अर पट्टों को व्दारा पालन पोसन पा ख अर एक संग गाँठ ख, परमेस्वर की ओर से बढ़ती जावा हैं।