पर मी तुम से कहूँ हैं, कि जो कोई अपनो भई पर घुस्सा करे, उ कचेरी म सजा को लायक होए, अर जो कोई अपनो भई ख निकम्मो बोले उ बड़ीसभा म सजा को लायक होए; अर जो कोइ बोले ‘अरे मूरक’ उ नरक कि आग को सजा को लायक होऐ।
ओ न उनको मन को ढ़िट पन की कठोरता को लाने नराज होका, उनका गुस्सा से चारी तरफ देख्यो, अर उ अदमी से कय्हो, “अपनो हात आगे कर।” ओ न आगे बढ़ायो, अर ओको हात चोक्खो हो गयो