18 हे ओरत हुन, जसो प्रभु म उचित हैं, वसो ही अपनो अपनो पति को अधीन रहो।
18 हे बायलेमन, जसन परबु ने नुकु आय, असने ची आपलो-आपलो मनुक चो अधीन राहा।
तब पतरस अर अन्य प्रेरित हुन न उत्तर दियो, “इंसान हुन की हुकुम से बढ़ ख परमेस्वर को हुकुम माननो चाहिए।
अदि म चाहूँ हैं कि तुम ख यू मालूम होय कि हर एक अदमी को माथा मसी हैं, अऊर ओरत हुन को माथा अदमी आय, अऊर मसी को सिर परमेस्वर आय।
बाई हुन कि कलीसिया म बैठक म चुप रय्हे, काहेकि उन ख बात करन की आदेस नी हैं, पर बस रह को कहना हैं, जसो नेम म लिखो भी हैं।
ओरत हुन, अपनो अपनो अदमी को असो बस म रहो जसो प्रभु को।
जसो सुध्द अदमी हुन को लायक हैं, वसो तुम म गलत काम अऊर कोई भी तरीका को असुध्द या लोभ की चर्चा तक नी होनू चाहिये;
(काहेकि उजेरो को फल सब प्रकार की भलाई, अर धार्मिकता, अऊर हकीगत या सत्य हैं
मी कहता हूँ, कि ओरत न उपदेस करो अर नी अदमी प हक चलाए, पर वी चुपचाप रय्हे।