अर इंसान को पोरिया ते जसो ओखा बारा म लिखो हैं जाय हैं: पर उ अदमी पर धितकार हैं जेको व्दारा अदमी को पोरिया पकड़वा जाय हैं: पर उ अदमी को पैदा ही नी होतो, ते ओखा लाने अच्छो हतो।”
यु अदमी ख परमेस्वर कि पक्की योजना अर पुरो ग्यान को अनुसार तुम ख सोपयो गयो अर तुम न पापी व्यक्ति हुन कि मदद से ओ ख क्रूस प चडायो अर खिल्ला ठुकवायो अर मार डालयो।
सब बात हुन पिलान अऊर परमेस्वर को निर्नय को हिसाब से करी जाय हैं। अऊर परमेस्वर न अपनो निजी निर्नय को वजे से ही हमका उईच मसी म संत बनन को लाने चुनियो हैं। असो ओको ही हिसाब से भयो जेखा परमेस्वर न कोई जमाना से ठान ख रख्यो रहा।
परमेस्वर ऐखा वी इंसान हुन को लाने, पुरी तरीका से साफ-सुतरो कर देन कि सोचत रहा, जेखा ओखा हासिल करनो थो, जेका देन को ओ ना वादा करयो रहा कि उ अपनो करयो वालो वादा ख कभी नी बदलन को एकोलाने अपनो वचन को संग ओ ना अपनी कसम ख जोड़ दियो।