36 तब वी सब ढाढ़स बाँध ख खाना खान लगिया।
36 तेबे हुनमन सपाय बले हिम्मत करून भात खाऊक मुरयाला।
पर अब मी तुम ख समझाऊ हैं कि धीरज धरो, काहेकि तुम म से कोई की जान की नुकसानी नी होन की पर सिरप जहाज की।
एकोलाने , अरे सज्जन हुन, धीरज धरनो; काहेकि मी परमेस्वर को ऊपर भरोसा करू हैं, जसो मोसे कय्हो गयो हैं, वसो ही होयगो।