काहेकि पोलुस जहाँ तक हो सका पिन्तकुस्त को रोज तक यरूसलेम पहिचान कि जलदी करत रहा, एकोलाने ओ ना सोचियो कि उ इफिसुस म बिना रूक्यो आगे चल देहे जसो ओखा आसिया म बखत नी गुजारनो पड़े।
तब पोलुस वी अदमी हुन ख लेखा, अर दुसरो रोज उनको संग सुध्द हो ख मन्दिर म गयो, अर वहाँ बता दियो कि सुध्द हो न को दिन, यानी उनमा से हर एक को लाने चढ़ावा चढ़ाय जान तक को दिन कब पुरा होए।