13 हम यू नी की चावा दूसरा हुन ख चैन अऊर तुम ख दुख मिले, पर बराबरी को विचार म
13 ऐ नाई कि दुसरमन के आराम आउर तुमके कलेश मिरो,
उ समूह म असो कोई नी हतो कि कोई बात हुन घटी होय काहेकि जे कोई को नजीक खेत या घर होवत रहा, उन ख बेच जो पैसा मिलत रहा ओ ख लावत रह
काहेकि अदि ऐकी दान देवन कि इक्छा हैं ओकी इक्छा अनुसार माना भी होए हैं जो ओखा नजीक हैं, नी कि ओखा अनुसार जो ओखा नजीक नी हैं।
यू बखत तुमारी बढती ओ की घटी म काम आये हैं, काहेकि ओकी बढती भी तुमारी घटी म काम आय हे कि बराबर हो जाहे।