काहेकि म उ दया का कारन जो मोखा ख मिलो हैं, तुम म से हर एक से कहूँ हैं कि जसो समझनो चाहिए ओ से बढ़ ख कोई भी अपनो तुम ख नी समझे; पर जसो परमेस्वर न हर एक ख विस्वास नतिज्जा को अनुसार बाट दियो हैं, वसो ही सुबुध्दि का संग अपनो ख समझे।
मी बेकुप हुन जसी बात कर रयो हूँ तुम लोग हुन न मोखा ऐका लाने मजबुर करियो हतो। अर तुम ही न मोरी गुजारी करी हती, काहेकि यदि मी कई भी नी आय, तेबी उन ख बड़ो प्रेरित हुन से कुई भी बात म कमी नी हैं।
यदि मी घमण्ड करनु चाहूँ भी तेबी बेकार नी होए, काहेकि म सच बोलू हैं; तेबी रूक जाय हैं, असो नी होय कि जसो कुई मोखा देख हैं अऊर मोसे सुन हैं, मोखा ऐसे बढ़ ख समझ हैं।
फिर मी न जो तुमारो नजीक लिखो हतो, वाहा न ते ओको लाने लिखो जो न बुरो नुकसान कियो अर नी ओखा लाने जे पर बुरो न्याय कियो गयो, पर एकोलाने कि तुमारी खुसी जो हमारो लाने हैं, उ परमेस्वर को सामने तुम पर परगट होय जाहे।
अब मी वी दुख को लाने खुसी मना उ हैं, न जे तुम्हारो लाने उठा उ हूँ अर मसी को क्लेसो खी घटी ओकी सरीर को लाने, अर्थात् कलीसिया को लाने, अपनो सरीर म पुरी करा हूँ;
काहेकि हमरो सुसमाचार तुमारो जोने न सिर्फ बोलनो भर से ही नी पर सामर्थ्य, सुध्द आत्मा म, अर बड़ो भरोसा को संग पहुँचो हैं; जसो तुम जाना हैं कि हम तुमारो लाने तुमरो बीच म कसा बन गया हता।