काहेकि मोखा डर हैं, कही असो नी हो कि मी आन पर मी तुम लोग हुन को जसो मिलो चाह हैं, पर वसो ही तुम ख पाए; अऊर कही असो नी होऐ कि मी तुमारो यहाँ फूट, जलन अर बुराई अर स्वार्थ पन अर अर तुम म लड़ाई, डाह, घुसा, जलन, चुगली, घमण्ड अर बखेड़ा होवा हैं;
एका लाने मी तुमारा पीठ पीछु यी बात हुन लिखू हैं, कि उपस्थित हो ख मो ख उ अधिकार को अनुसार जेसे प्रभु न बिगाड़न का लाने नी पर सुधार करन का लाने मो ख दियो हैं, कड़ाई महेनत से कुछ करनु नी पड़े।
हम अपनो परमेस्वर से यू प्रार्थना करिये हैं कि तुम कोई बुराई नी कर, एकोलाने नी कि हम विस्वास लायक दिख सके, पर एकोलाने कि तुम भलाई कर, चाहे हम बेकुप ही रहे।