अऊर इत्ता म हजार हुन लोग हुन कि भीड़ लग गई, इत्ते का लोग एक दुसरा हुन को कुचल रयो हतो। ते यीसु पहलो अपनो चेला हुन से कह लगो, “फरीसी हुन ख कपटी जसा खमीर से होसियार रहनो।”
जब तू खुद की ही आँख का लट्ठा नी दिखत आय, तो अपन भई से कसो कहत सकत हैं, ‘हे भई; रुक जा तोरी आँख से कचरा ख निकला दूँ’? हे कपटी, पहले अपन आँख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तोरो भई की आँख म हैं, ओ ख भली भाँति देखकर निकाल सकेगो।
काहेकि मोखा डर हैं, कही असो नी हो कि मी आन पर मी तुम लोग हुन को जसो मिलो चाह हैं, पर वसो ही तुम ख पाए; अऊर कही असो नी होऐ कि मी तुमारो यहाँ फूट, जलन अर बुराई अर स्वार्थ पन अर अर तुम म लड़ाई, डाह, घुसा, जलन, चुगली, घमण्ड अर बखेड़ा होवा हैं;
काहे कि हम गवाही हुन की असी इत्ती बडी भीड़ से घिरया हैं, जो हम ख भरोसा को मतलब का होव हैं ऐकी गवही देवा हैं ऐको लाने आओ रोड़ा बनन वाली हर एक चिज ख अऊर उ पाप ख जो सहज ही हम ख उलझा देवा हैं झटक ख फेके अऊर वा दऊड जेय म हम ख दऊडनू हैं, आओ धीरज को संग म ओ ख उखाड़ ख फेके आओ ओ ख धीरज को संग म दऊडे,
हे भई हुन, एक दुसरा कि बदनामी मत करो। जे अपनो भई की बदनामी करह हैं या भई पर आरोप लगाव हैं, उ नेम पर आरोप लगाव हैं; अर अदि तू नेम पर आरोप लगाव हैं, ते तू व्यवस्था पर चलन वालो नी पर न्याव करन वालो का ठहरो।
अर का तुम असो सोचा आय कि सुध्द सास्र बैकार म कहव हैं कि, “परमेस्वर न हमारो जोने जे आत्मा बसायो हैं,” काहेकि उ असी आसा करह हैं। जेको प्रतिफल बुरी बात आय?