अदि अगर म भविस्यव्दाणी करूँ सकू, अऊर सारी बात हुन अऊर सारी तरह को समझ ख समझू, अऊर मोखा यहाँ तक पूरो भरोसा हैं कि म टेकड़ा हुन ख अलग दे, पर अदि प्रेम नी रखूँ, ते म कुछ भी नी हैं।
उ अपनी सक्ति को ओ पर प्रभाव को अनुसार जेको व्दारा उ सब चीज हुन ख अपनो बस म रख हैं, हमारी दीन हीन सरीर को रूप बदल ख, अपनी महिमा कि सरीर को अनुकूल बना दे हे।