उत्तीच बखत से यीसु अपना चेला हुन ख बतान लग गयो कि “मोखा पक्को मालुम हैं, कि मोखा यरूसलेम ख जानो जरूरी हैं सियाना अऊर पुजारी हुन को अऊर तारा हुन ख देख ख भविस्य बतान वाला सासतिरी के हात से बेजा दुख उठाऊ; अऊर मार दियो जाऊ; अऊर तिसरो दिन फिर से जिन्दो हो ख ऊठु।”
काहेकि उ अपनो चेला हुन ख सिखावत अर उन ख कहत रह, “इंसान को पोरिया, इंसान हुन को हात म पकड़वा दियो जाहे, अर वी ओखा मार ड़ालेगो; अर उ मरन को तीन रोज बाद म जिन्दो होयगो।”
फिर ओ ना कय्हो, “इंसान को पोरिया को लाने अवस्य हैं कि वी बेजा दुख उठाए, अर सियाना अर प्रधान पुजारी अर सासतिरी ओखा बेकार (तुच्छ) समझ कर मार डाले अर वी तीसरो दिन जिन्दो हो जाए।”
असी बात हुन को बाद अरिमतिया गाँव को यूसुफ न जो यीसु को चेला हतो रह, पर यहूदी हुन को डर से यीसु को अंदरोनी चेला हतो, पिलातुस से यीसु को सरीर ख उतार लेन कि विनती करी। पिलातुस न ओखा अनुमती दे दियो। एकोलाने यूसुफ आ ख यीसु को सरीर ख ले गयो।
उ अपनो मरन क बाद उ चालीस दिन तक उ अगल अर तरीका से दिखाई दियो अर प्ररगट हुओ जिन्दो को प्रमाण ते रयो उन न ख देख्यो अर उन से ओ न परमेस्वर को राज्य कि बात करी।
काहे की उन न एक दिन रोखयो हैं, जो म एक इंसान को व्दारा धर्म से दुनिया को न्याय करे, जो ख उन न रोखयो हैं, अर उन म से मरिया हुआ म से जिलाकर ख यह बोली सब पर साबित कर दियो हैं।
अऊर हम उनकी माऊत को बपतिस्मा मान ख उनका संग एकोलाने दफनायो गयो हैं कि जिस तरीका मसी बाप को महिमा मय सक्ति से माऊत हुन म से जिन्दो उठो हैं, ऊईच तरीका हम भी एक नयो जिन्दगी जीहे।
उन न या बात की खोज करी की कि मसी की आत्मा जे उन म थी, अऊर पहले ही से मसी ख दुख हुन कि ओर ओको बाद होवन वाली महिमा की गवाही देतो थो, वाहा कऊन से अऊर कसो बखत की ओर संकेत करतो थो।