अरे भई हुन मी नी चाहूँ हैं कि तुम असी बात हुन से अनजान रैव कि मी न बार-बार तुमारो जोने आन को पिलान बनायो ताकि, जसो दुसरी जात हुन म फल मिले, वसो ही तुम म भी मिले, ते भी अब तक वहाँ जान ख लाने रोको गयो।
अरे भई बहिन हन, हम नी चाय्हे कि तुम हमारो उ संकट से अनाड़ी रह जो आसिया नगर म हम पर गिरो; हम ख असो भारी बोझा से दब गयो हतो की, जे ख हमारी सक्ति से बाहर हता, यहाँ तक कि हम ख जिन्दगी से भी हात धो ख बठा हता।
ओ न कुछ ख प्रेरित नियुक्त कर ख, अर भविस्यवक्ता ठहरा ख अऊर कुछ ख सुसमाचार सुनान वाला ठहरा ख अर कोई ख अऊर कोई ख रखवालो अऊर उपदेस देन वाला ठहरा ख दे दियो,