हम अपनी सभा हुन म मिलनो-जुड़नो नी छोड़नो चाहिए, जसो कि कुछ इंसान हुन करा हैं, बल्कि हम एक दुसरा ख धीरज दे। जब तुम उ दिन का जोने आते देख रया हैं, ते असो करनो अऊर भी जरूरी हो जाय हैं।
दुसरा को नुकसान करन का बदला म ही उन को ही बुरो होए उन ख दिन दोपहर अधर्म करनु भलो लगह हैं। यू कलंक अर दोस आय; जब वी तुमारो संग खावा अर पीवा हैं, ते अपनी ओर से प्रेम खानो कर ख भोग विलास करिये हैं।
यू तुम्हारो प्यार सभा हुन म तुमारो संग खाव अर पीवा समुंदर म छिपी हुई चट्ठान सरीखे हैं, अऊर बेधड़क अपनो ही पेट भरन वाला रखवाला हैं; वी बिना बादल हैं, जिन्हे हवा उड़ा ले जावह हैं; पतझड़ को अधूरो झाड़ हैं, जे दो बार मर चुको हैं, अऊर जड़ से उखड़ गयो हैं;