अउ मोके दय गइस बडी अनुगरह के दवारा मै तुम्हर मसे सगलू के बिनती करत कथो, कि कउनो खुद के बोहत झइ समझै, पय खुदय के बारे हे तुम्हर गिनती भगवान दवारा दय गइस बिस्वास के परिनाम जसना होय।
हर अक्ठी खेल, जउन खेल हे भाग लेथै, उन हर बात हे धीर धरथै, उन नास होय बाले इनाम मुकुट पामै के निता असना करथै, जब कि हम जउन इनाम मुकुट कबहुं नास नेहको होमै बाले हबै ओखर निता करथन।
इहै मेर मंडली के सेबकन के इज्जत के काबिल होमै चाही, जेखर सब्द हे बिस्वास करे जा सके, दारू हे ओखर मन झइ लगै चाही, बेकार रास्ता लग उके धन कमामै के लालची झइ होमै के चाही।