“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
अब हमही हइ पता हुइ गइस कि नियम के निरदेस उनखरै लग कथै, जउन नियम के वस हे हबै, कि सबके मुंह बन्द हुइ जाय अउ पूर दुनिया भगवान के आगू निरनय के निता काबिल ठहरे।
अगर कउनो बिधवा के लरका या नाती पोता होय, ता उन आगू अपन बिरादरी के संग भक्ति के बरताव करना, अउ अपन दाय बाफ आदि के उनखर हक देय के सीखय, काखे हइ भगवान के भाथै।
उके बचन हे बिस्वास हे बने रहै चाही, जसना उके सिक्छा दय गय रहिस, ताकि मनसे के सही सिक्छा दइके उनही सिखाय सकै, अउ बचन के बिरोध हे बहस करै बाले के बिस्वास देबाय सकै।